Friday, April 15, 2011

बस कहानी ...!

अगर उसकी कहानी ऐसे ही ख़त्म होनी थी तो पता नहीं भगवान ने उसे वहशत भरी इस दुनिया मे भेजा ही क्यूँ?इतनी होनहार लड़की का ऐसा हॉल...तौबा तौबा!मैं कैसे जानती हूँ उसे... अरे वो मेरी पड़ोसन थी ना! और फिर पड़ोसियों का हाल चाल जानना तो हमारा धर्म है! कितनी हँसमुख और आत्मनिर्भर लड़की थी !और नाक नक्शा तो ऐसे जैसे कोई अप्सरा ही ना हो..!
वैसे तो मैं किसी की निजी ज़िंदगी मैं ताक झाँक नहीं करती मगर उस दिन मिसेज़ शर्मा का ही फोन आया था वही पूछ बैठी थी "मिसेज़ रिश्तोड़गिया, आप के पास में एक नई कन्या आई है कुछ तो बताओ उसके बारे में!" अब देखिए ना सभी आस पास के लोग मुझसे कितनी आशाएं रखते है तो ठान ही लिया उसका अता पता लगा के रहूंगी!
अगले ही दिन सुबहा पहुँच गई उसके घर, " बेटा ,थोड़ी शक्कर दोगी क्या,"और वो बड़े मीठे बोल मैं बोली थी,"ज़रूर आंटी बैठिए ना,"अरे इतना कहना था की लो मैं बैठ गई और उसका अगला पिछला सब खबर लेली!
बेचारी के माता पिता तो बचपन में ही गुज़र गए थे ! चाचा चाची ने पाला था जो शैतान के नाना थे बड़ी मुसीबतों से गुज़र कर अपने पैरों पर खड़ी हुई थी! नौकरी तो कर ही रही है साथ ही में हिन्दी साहित्य मैं पी एच डी भी कर रही है!
बस उसी समय से मुझे मालूम था की यही सुकन्या मेरे भतीजे मंसु के लिए योग्य वधू है! अरे इतना हटटा कॅटा पैंतीस साल का नौजवान है ! हाँ ,किसी एक नौकरी पे टिक नहीं पाता अरे दुनिया ही उसे समझ नहीं पाती है! शायद इसी लड़की से उसका मेल होना था सो कोई और नहीं मिली! भगवान बड़ा दयालु है!
थोड़े दिन के मेलजोल के बाद मैने उसे सीधा सीधा ही पूछ लिया मगर वो बेचारी भोली भाली नई पीढ़ी की ,रीति रिवाज से अंजान युवती शादी से इनकार कर बैठी ,"नहीं आंटी ये आपके मंसु का सवाल नहीं है ये मेरी ज़िंदगी का सवाल है! मैं आत्मनिर्भर हूँ! मुझे किसी के सहारे की ज़रूरत नहीं !"
"पर बेटी,जवानी तो गुज़ार लॉगी मगर बुढ़ापा कैसे कटेगा?"
"किसी वृधाश्रम में चली जाउंगी मगर ब्याह नहीं करूँगी! ये मेरा आखरी फ़ैसला है!"
बाप रे बाप,क्या रंग दिखाया लड़की ने उस दिन! पर मुझे मालूम था जवानी का जोश है थोड़ादबाव पड़ा नहीं की आप ही ज़मीन पर उतर आएगी! में तो किसी मौके की तलाश मैं ही थी की मालूम हुआ उसके चाचा चाची उसे ढूंढते हुए आ पहुँचे हैं!
बस फिर क्या था उसके आफ़िस जाते ही में उसके घर पहुँच गई चाचा चाची के दर्शन को, " भाई साहब,ज़माना कितना खराब है!अकेली लड़की के रहने लायक नहीं रहा ! आप भले लोग हैं इसलिए मैं अपने हीरे जैसे मंसु के लिए आपकी भतीजी का हाथ माँगने आई हूँ!!" अब लगा था तीर निशाने पे..
बस फिर घर में ये ऐलान हो गया की शादी तो मंसु से ही होगी और वो भी जल्दी!
मैने तो कितनी तय्यारियाँ भी कर ली थीं! मगर ये लड़की भी अपनी धुन की पक्की निकली ज़ियादह ज़ोर डालने पर अपनी चाची को धक्का देकर घर से भाग गई! उस दिन से आज तक किसी को उसकी कोई खबर ही नहीं लगी! और आज ये मनहूस अख़बार खबर लाया है कि एक लड़की ने नदी में कूद कर आत्महत्या कर ली ! भगवान को शायद यही मंज़ूर था!
उफ़फ्फ़! ..लगता है अब फिर से मंसु के लिए नए सिरे से वधू तलाशनी पड़ेगी!


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