Thursday, May 12, 2011

साधारण लड़की की साधारण कहानी.......उसी की ज़ुबानी .

कितने दिन बाद आज कुछ लिखने का मानस बना पाई हूँ!
क्या लिखूं ये भी आज मैं सोच कर आई हूँ!

"अरे बेटा...जा ज़रा कपड़े तो सुखा आ!
और कुछ कर नहीं रही है तो चाए भी बना ला!

क्या लिखना कुछ नहीं करना है,
पर माँ की आज्ञा का पालन भी करना है!

"हां माँ ,जाती हूँ!"

हो गया काम....अब कुछ अच्छा लिखूँगी!
अपने स्वप्न सुरीले बुनूँगी !
कोई प्यारी बात
आधी रात,
उँचे पहाड़ पर बने मंदिर में बजती
घंटियों का नाद...!
अब लिखूँगी!

"अरे! फिर आकर बैठ गई,
क्या सोचने लग गई?
मैं तेरी माँ हूँ तू मुझको तो बता,
अब तू बेटी है बड़ी हो गई!
काम काज सीख ले,खुद को थोड़ा संवार ले,
ससुराल तुझको जाना है,
कैसा होगा, किसने जाना है!
कविता लिख कर क्या बन जाएगी,
फिर चूल्हा चोका ही सम्भालना है!"

"क्यूँ माँ ,आपकी सहेलियाँ आईं थी?"
"हाँ! मगर तुझे कैसे पता ,?
तू तो अभी कालेज से आई थी?"

"अरे माँ वो कितनी अच्छी हैं! अपना पड़ोसी धर्म निभाती हैं,
मेरी तो वो देखो"हाय" कितनी चिंता जताती हैं!
थोड़ा तुम भी हो आया करो,
उनकी भी खबर लाया करो!"

"हाए! देखो इसे,कितनी ज़बान लड़ाती है,
मुझको पाठ पढ़ाती है...!"

लो माँ तो गुस्सा गई,
और मेरी शामत आ गई!

"अरी भाग्यवान,क्यूँ मेरी बेटी पर चिल्लाती रहती हो!
जाओ चाए ले आओ,तुम कितनी अच्छी बनाती हो!"

"आपने ही सर पे चढ़ाया है इसे,
कविता की राह पे चलाया है इसे!
घोड़ी जैसी हो गई है फिर भी देखो
अब तक कोई लड़का देखने आया है इसे?"

वा माँ ये क्या दिन दिखा दिया मुझे,
अच्छी ख़ासी बेटी हूँ,जानवर बना दिया मुझे!?

अब पिताजी बचा सकते हैं,
ये ही तो हैं जो मुझे समझते हैं!


"बेटा! कालेज अच्छा चल रहा है ना,
और लिखना भी और पढ़ना...?
कल मैने तुम्हारी कविता पढ़ी,
तुमने अच्छी बात कही,
उम्र के इस मोड़ पर थोड़ा संभलना.
कोई ऐसी बात हो तो मुझसे अवश्य कहना!"

इस बार लगा है धक्का गहरा,
अनुभव तो पहले ही कम हैं
अब अनुभूतियों पर है पहरा!

इन सब में भाई कैसे चुप रहता,
आगे आकर वो भी कहता,

"अरे माँ ये तो आजकल का फैशन है,
इसमें क्या टेंशन है
जहाँ देखो हर लड़की शेरो शायरी में मशगूल है,
इसे डांटना फ़िज़ूल है...."

ये सुनने से पहले मैं बहरी क्यूँ ना हो गई,
ये धरती क्यूँ ना फट गई,
और मैं.....नहीं...मैं नहीं
मेरे पन्ने और कलम क्यूँ ना इसमें समा गए....
जो मैं समा गई तो मानो मेरे स्वप्न भी तो समा गए....!!!!

3 comments:

  1. well what to say!!!!!!!!!!!!

    very true

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  2. अंतस की पीड़ा को शब्दों में ढालें ... इसी तरह से सोचबदल कर क्यॊं न समाज बदल डालें - शुभकामना

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